shiv chalisa lyrics in marathi - An Overview
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।अर्थ- हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अवि
दानिन महं तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।अर्थ- हे अनंत एवं नष्ट न होने वाले अवि